IBN24 desk : रायपुर ( छत्तीसगढ़) विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति इसलिए किया जाता है, ताकि वे बच्चों को पढ़ाएं, उन्हें समाज के लिए उपयोगी बनाएं। बच्चों को सही या गलत मार्ग का चयन करना सिखाए। छात्रों के व्यवहार में कुशलता लाना, उनका सर्वांगीण विकास करना, लेकिन आजकल ये सब केवल सैद्धांतिक ही प्रतीत होते नजर आ रहा है, व्यवहार में ऐसा कुछ होते हुए दिखाई नहीं दे रहा है। इसका मतलब यह नहीं है कि शिक्षक अपने दायित्व से मुंह मोड़ लिए हैं। शिक्षक अपने दायित्व का निर्वहन तो करना चाह रहे हैं, लेकिन नित नए विभागीय ऑनलाइन कार्यों के चलते अपने मूल कार्यों से परे होते जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रमेश कुमार चन्द्रवंशी ने कहा कि विभाग की ओर से वर्तमान में दिए जा रहे नित-नए ऑनलाइन कार्यों से शिक्षक का मूल कार्य गौण होते जा रहा है और ऑनलाइन कार्य ही मुख्य होकर रह गया है। प्राथमिक व मिडिल स्कूलों में प्रतिदिन मध्यान्ह भोजन की एंट्री, हाई व हायर सेकेण्डरी स्कूलों में माध्यमिक शिक्षा मंडल में नामांकन व परीक्षा फार्म, यूडाइस में सभी विद्यार्थियों की एंट्री कार्य किया ही जाता है। सभी स्कूलों में छात्रवृत्ति की एंट्री व दस्तावेज अपलोड कार्य करना पड़ रहा है। अब अपार आईडी की एंट्री कर जनरेट करने का कार्य भी शिक्षकों को ही करना पड़ रहा है। परख परीक्षा व विद्यार्थियों के उत्तरों की ऑनलाइन एंट्री ने शिक्षकों को ऐसे परेशान किया कि इस कार्य के चलते पखवाड़े भर अध्यापन कार्य ही ठप हो गया था। इतना ही नहीं प्रत्येक माह कोई न कोई ऑनलाइन प्रशिक्षण व अलग-अलग किसी जानकारी के नाम पर परेशान होना पड़ रहा है। इसके अलावा गूगल फार्म पर नित नए जानकारी भरने का फरमान भी जारी होते रहता है। कार्यालय में बैठकर फरमान जारी करने वाले अधिकारियों को यह कार्य कुछ समय का भले ही लगता हो, लेकिन व्यवहारिक में यह अध्यापन करने वाले शिक्षकों के लिए व्यवधान का मुख्य कारण बन गया है। जब भी कोई जानकारी मांगा जाता है, वे सभी के सभी अर्जेन्ट व उसी दिन व्हाट्सएप्प में देने के लिए कहा जाता है। अब प्रश्न उठता है कि आखिर सभी जानकारी अर्जेन्ट उसी दिन उसी समय देने की आवश्यकता क्यों पड़ता है? शिक्षक को हर एक घण्टे मोबाइल खोलकर देखना पड़ता है कि कहीं कोई जानकारी देने से छूट न जाए। यदि कोई जानकारी कहीं छूट गया तो स्पष्टीकरण व बचाव के लिए मिन्नते करने के लिए तैयार रहना पड़ता है। किसी कारण से मध्यान्ह भोजन की ऑनलाइन एंट्री छूटने पर स्पष्टीकरण आए दिन निकलते ही रहता है। ऑनलाइन कार्यों की इस आपा-धापी में शिक्षक ये सोंचने पर मजबूर हो जाता है कि उनकी नियुक्ति शिक्षक के पद पर हुआ है या कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर? ऐसे भी ज्यादातर शासकीय विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है, इसके बावजूद उनसे लगातार ऑनलाइन कार्य कराए जाने से अध्यापन व्यवस्था पर विपरीत असर पड़ रहा है। विभागीय उच्चाधिकारियों के लिए यह विचारणीय विषय है। उन्हें शिक्षकों को अध्यापन में रत रखने के लिए इस समस्या का सार्थक समाधान निकालने की आवश्यकता है।