महासमुन्द(छत्तीसगढ़) महासमुंद जिले में पिछले पांच साल से जंगली दतेल हाथियों का आतंक है। पिछले पांच सालो में हाथियों ने सैकड़ो एकड़ फरसल बर्बाद किया है और अभी तक 27 लोगो की जान ले लिया है। महासमुंद जिले से हाथियों को खदेड़ने के लिए कर्णाटक से 5 प्रशिक्षित कुमकी हाथी लाये गए थे. कोलकाता से हुल्ला पार्टी बुलवाये गए थे कुछ हाथियों में रेडियकॉलर लगाए गए, इस प्रकार करोडो रुपये खर्च किये गए लेकिन हाथियों को खदेड़ने में वन विभाग सफल नहीं हो सका है और जिले में आज भी हाथी आतंक मचा रहे है हाल ही में एक ही दिन हाथियों ने दो लोगो को कुचल कर मारडाला जिले में अभी तक 27 लोगो की जान हाथी के हमले में जा चुकी है और कई घायल भी हुए है !हाथी के हमले को कैसे कम किया जाए इसके लिए महासमुंद वन विभाग ने अपने वन रक्षक प्रशिक्षण शाला में हाथी मानव द्वंद प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमे महासमुंद वन परिक्षेत्र और बागबाहरा वन परिक्षेत्र के वन विभाग के सभी अधिकारी, पुलिस विभाग के अधिकारी, गजमित्र और हाथी प्रभावित क्षेत्र का लोग उपस्थित हुए ! इस कार्यक्रम के सम्बन्ध में महासमुंद के वन मंडल अधिकारी पंकज राजपुत ने बताया कि कार्यालशा के माध्यम से हाथी के व्यवहार को समझने और उनसे बेहतर सम्बन्ध स्थापित करने, वन विभाग,पुलिस विभाग और ग्रामीणों का हाथी के विचरण सम्बन्धी सूचना तंत्र को मजबूत करने की बात बताई गयी ताकि हाथी रिहायसी इलाके में आये तो सम्बंधित क्षेत्र के वन विभाग के अधिकारी, पुलिस और ग्रामीणों को इसकी जानकारी एक दूसरे से हो जाए ताकि लोग सुरक्षित स्थान पर रहे और हाथी के हमले से जन हानि से बचा जा सके ! वही इस कार्यशाला में में उपस्थित हाथी प्रभावित क्षेत्र के लोगो ने भी इस कार्यशाला की तारीफ करते हुए बताया की इस कार्यालशाला के माध्यम से हाथी से कैसे बचा जा सके इसके लिए बताया गया है कि हाथी आने की सूचना आदान प्रदान हो सके जिससे लोग सुरक्षित रह सके साथ ही हाथी के साथ मित्रवत व्यवहार करेंगे तो हाथी से जनहानि कम होगी, हाथी को अनावशयक छेड़छाड़ नहीं करना है हाथी से दुरी बनाकर रहना है।