
महासमुंद [छत्तीसगढ़] – मकरसक्रांति के दिन जहां लोग नदीयों के संगम स्थानों में जा कर डुबकी लगाते है,पूजा पाठ करते है… वही महासमुंद जिले के हथखोज में लोग दूर-दूर से आकर नदी की सूखी रेत पर लोटते हैं… जिसे सुखा लहरा कहा जाता है… मकर सक्रांति के दिन जहां लोग नदी डुबकी लगाते है, पूजा-पाठ करते है मान्यता है कि इस दिन 33 कोटी देवी देवता धरती पर उतरते है…लेकिन छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले की सात नदियों के संगम स्थल हथखोज में मकर सक्रांति के दिन अनोखा मेला लगता है जिसमे हजारो की संख्या में लोग नदी की सुखी रेत पर लोटते हैं…जिसे सूखा लहरा कहते है…सूखा लहरा लेने के लिए यहां लोग दूर दूर से आते है…सूखा लहरा लेनें के लिए शिव की आराधना करके माँ शक्ति लहरी को याद करते हैं और सुखा लहरा लेते है.. ऐसी मान्यताये है की सच्चे मन से सुखा लहरा लेने से मनोकामना पूर्ण होती है… यहाँ सुखा लहरा लेने कि शुरुआत आज से लगभग 52 साल पहले शुरू हुयी थी, तब से लोग मकर सक्रांति के दिन दूर दूर से सुखा लहर लेने आते है…. सुखा लहर लेने वाले लोगों ने बताया की लहरा लेने के लिए पहले रेत में शिव लिंग बनाया जाता है और माँ शक्ति लहरी को याद किया जाता है उसके बाद श्रद्धालु अपने आप ही नदी की सुखी रेत परलोटनें लगता है, उसे कुछ याद नहीं रहता, वो तब तक लोटते रहता है जब तक कोई उसे छु नहीं लेता, साथ ही लोगो ने बताया की साल में सिर्फ एक दिन 14 जनवरी को ही लोग यहाँ सुखा लहरा ले सकते है, बाकी दिन यहाँ वो शक्ति नहीं रहती है… साथ ही श्रध्धलुओ ने ये भी बताया की यहाँ अलौकिक शक्ति है जिससे लोग यहाँ सुखा लहरा ले पाते है,सुखा लहरालेने से मनोकामना पूर्ण होती है… कई श्रधालुओ ने बताया की उनकी मनोकामनाए सुखा लहरा लेने से पूर्ण हुयी है…