Thursday, October 9, 2025
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महासमुंद जिले के बरनाईदादर धान खरीदी केंद्र में चल रहा था, सरना धान को मोटे धान में खरीदकर, मोटे धान के डी. ओ. में सरना धान देने का खेल। जिला प्रशासन की जांच टीम ने बरनाईदादर में पाया 408 क्विंटल अतिरिक्त सरना धान। जिला प्रशासन कार्यवाही की तैयारी में है…

 

INB24 Desk : महासमुंद [छत्तीसगढ़] पूरे छतीसगढ़ मे धान खरीदी वर्ष 2022-23 के लिए 01 नवम्बर 2022 से 31 जनवरी 2023 तक समर्थन मूल्य पर किसानो से धान की खरीदी की जा रही थी। महासमुंद जिले मे किसानो से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए 169 धान खरीदी केंद्र बनाए गए थे जहां धान की खरीदी की जा रही थी। जिले के कुछ धान खरीदी केंद्रों में सरना धान को मोटे धान में खरीदकर, मोटे धान के  डी. ओ. में राईस मिलरों को सरना धान देने का खेल चल रहा था। जिसे महासमुंद जिला प्रशासन की जांच टीम ने पकड़ा है।

ताजा मामला महासमुंद जिला बरनाईदादर धान खरीदी केंद्र का है जहाँ धान खरीदी वर्ष 2022- 23 में कुल 31401.6 क्विंटल धान की खरीदी हुई थी। सरकार ने धान के तीन कैटगरी निर्धारित किया है जिसमे खरीदी करना है। जिसमे मोटा, पतला और सरना है। इसके लिए अलग अलग कलाम बनाये गए है लेकिन महासमुंद जिले के बरनाईदादर धान खरीदी केंद्र में  शासन के नियम विरुद्ध सरना धान को मोटे धान में खरीदने और मोटे धान के डी. ओ. में मिलरों को सरना धान देने और उसके एवज में प्रति क्विंटल 10 रुपये लेने और सरकार को क्षति पहुचाने का खेल चल रहा था। जिला प्रशासन की जांच टीम ने बरनाईदादार धान खरीदी केंद्र में जांच में पाया है कि वहाँ सरना धान की कुल खरीदी से 408 क्विंटल सरना धान अधिक पाया गया है।

समझिए आखिर सरना धान को मोटे धान में क्यो खरीदता है धान खरीदी प्रभारी है।

राईस मील से संबंधित लोग बताते है कि 1 कविंटल मोटे धान से लगभग 55 से 60 किलो चावल निकलता है जबकि सरना धान के 1 कविंटल धान से लगभग 60 से 65 से किलो चावल निकलता है। मोटे धान में टूट अधिक होता है इसलिए चावल कम निकलता है जबकि सरना धान में टूट कम होने पर चावल अधिक निकलता है साथ ही सरना धान के कोढहा से तेल, मोटे धान के कोढहे से अधिक निकलता है इसलिए मिलर भी अधिक मात्रा में सरना धान खरीदी केंद्रों से लेना चाहता है लेकिन शासन, मिलर को कितना मोटा धान देना है कितना पतला धान देना है और कितना सरना धान देना इसका निर्धारण तय करती है।

 इसमे धान खरीदी प्रभारी करते है खेल, और शासन के नियम विरुद्ध, सरना धान को मोटे धान में खरीदकर मोटे कर डी. ओ. में सरना धान देकर प्रति कविंटल 10 रुपये राईस मिलर से लेते है। वैसे इसमे ज्यादा फायदा राईस मिलरों को होता है क्योकि 01 कविंटल मोटा धान से लगभग 55 से 60 किलो चावल निकलता है वही 01 कविंटल सरना धान से 60 से 65 किलो चावल निकलता है मतलब 5 किलो अतिरिक्त चावल निकलता है। हर साल राईस मिलर हजारो कविंटल धान कस्टम मिलिंग के लिए धान खरीदी केंद्रों से उठाते है।

शातिर धान खरीदी प्रभारी धान खरीदी शुरू होते ही सरना धान को मोटे धान में खरीदी करके रखते है और शासन प्रशासन की आंखों में धुलझोककर मोटे के डी. ओ. में सरना राइस मिलरो को देते है। बरनाईदादर में भी यही चला रहा था जांच के पहले कई क्विंटक सरना धान मोटे धान के डी. ओ. में गया भी होगा। जब जांच टीम धान खरीदी के आखरी दिन 31 जनवरी 2023 को जांच में पहुची थी जांच टीम ने सरना धान की कुल खरीदी में 408 क्विंटल सरना धान अधिक पाया है। खाद्य विभाग इस मामले में कार्यवाही करने जा रहा है।

 

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