IBN24 Desk : महासमुंद [ छत्तीसगढ़ ] पूरे छत्तीसगढ़ में धान खरीदी वर्ष 2023-24 के लिए 01 नवम्बर 2023 से 31 जनवरी 2024 तक सरकार द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों से धान की खरीदी की जा रही है। इसी खरीदी वर्ष में महासमुन्द जिले के पिथौरा ब्लाक के प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति जड़ामुड़ा एक बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है। जाड़ामुड़ा समिति के कर्मचारियों ने धान खरीदी के लिए अपने परिचय किसानों और अपने रिस्तेदारो के खेत के रकबे को फर्जी तरीके से बढ़ा दिया है और उस फर्जी रकबे में करोड़ो की धान खरीदी हो रही है जबकि उनके पास उतना खेती की जमीन ही नही है। यहाँ तक कि दूसरे गांव, दूसरे समिति, दूसरे लोगो की खेती की जमीन को अपने परिचित और रिश्तेदारों रकबे में जोड़ दिया गया है।
प्रकरण 1. रामप्रसाद पिता नंदलाल इनके पास 0.9700 हेक्टेयर यानी 02 एकड़ 45 डिसमिल जमीन है।
[जमीन सम्बन्धी प्रपत्र]
इसे बढ़ाकर 14.3300 हेक्टेयर यानी 37 एकड़ किया गया है। 02 एकड़ 45 डिसमिल के हिसाब से इन्हें 53 क्विंटल बेचने की पात्रता है लेकिन ये अभी तक 426 क्विंटल धान बेच चुके है।
[रकबा पंजीयन प्रपत्र ]
प्रकरण 2. दासरथी पिता ईश्वर इनके पास 3.8300 हेक्टेयर [ 9 एकड़ 57 डिसमिल] खेती की जमीन है।
[जमीन सम्बन्धी प्रपत्र]
जिसे बढ़ाकर 14.2500 हेक्टेयर [35 एकड़ 62 डिसमिल] किया गया, इन्हे वास्तविक खेत के रकबे 9 एकड़ 57 डिसमिल में 200 क्विंटल 97 किलोग्राम धान बेचने की पात्रता है लेकिन अभी तक इनके द्वारा 738 क्विंटल धान बेचा जा चूका है।
[रकबा पंजीयन प्रपत्र ]
प्रकरण 3. गौतम बरिहा पिता कुसनो, इनके पास 0.72 एकड़ खेती की जमीन है।
[जमीन सम्बन्धी प्रपत्र]
जिसे बढ़ाकर 7.1800 हेक्टेयर यानी 17 एकड़ 95 डिसमिल किया गया है और इसमें 252 क्विंटल धान बेचा जा चूका है !
[रकबा पंजीयन प्रपत्र ]
प्रकरण 4. ईश्वर पिता उदेमणी ग्राम जाड़ामुड़ा इनके पास 12.1100 हेक्टेयर [ 30 एकड़ 28 डिसमिल] खेती की जमीन है जिसे बढ़ाकर 18.3200 हेक्टेयर [ 45 एकड़ 80 डिसमिल ] किया गया है ! इनके खेती के रकबा में उन किसानो का भी रकबा जुड़ा है जिनकी मौत हो चुकी है। जिसमे टेंगनू पिता दुलारू ग्राम भतकुंदा की मौत 7-8 साल पहले हो चुकी है, इसी तरह अनंद सिंह पिता भूतनाथ ग्राम भतकुंदा की भी मौत हो चुकी है।
ईश्वर पिता उदेमणी के रकबे में सुदर्शन बरिहा का भी रकबा फर्जी तरीके से जोड़ा गया है, सुदर्शन बरिहा से बात किया गया तो उसने बताया मेरी जमीन भतकुंदा में है पंजीयन नहीं हो पाया, मैंने अपने रकबे में धान बेचने के लिए किसी को कोई सहमति नहीं दिया हूँ।
प्रकरण 5. मनोहर पिता बैकुंठबिहारी इनके पास 2.9100 हेक्टेयर [ 7 एकड़ 28 डिसमिल ] खेती की जमीन है जिसे बढ़ाकर 7.8800 हेक्टेयर [ 19 एकड़ 70 डिसमिल ] किया गया है।
प्रकरण 6. संतलाल पिता ईश्वर इनके पास 3.9200 हेक्टेयर यानी 9 एकड़ 80 डिसमिल खेती की जमीन है जिसे बढ़ाकार 15.1500 हेक्टेयर यानी 37 एकड़ 87 डिसमिल किया गया है।
इसी तरह बोदराम, घनस्याम, सावित्री, शिव बरिहा, मुरारीलाल सहित लगभग 18 किसानो का रकबा बढाया गया है।
समझिए ये फर्जीवाड़ा कैसे किया गया है, जिन किसानों ने पंजीयन नही कराया है उनसे बिना पूछे, बिना जानकारी के उन किसानों का रकबा को अपने परिचित और अपने रिस्तेदारो के रकबे में जोड़कर रकबा को बढ़ाया गया है और उसी फर्जी रकबे से करोड़ो की धान खरीदी की जा रही है। गिरदावरी रिपोर्ट आने के बाद समिति में पंजीयन का कार्य समिति प्रभारी/प्रबंध और कम्प्यूटर आपरेटर द्वारा ही किया जाता है प्रबंध किसानो का रकबा चेक करता है फिरआपरेटर उसे कम्प्यूटर में इंट्री करता है इसी समय ये खेल किया गया और फर्जी तरीके से रकबा बढाया गया।
फर्जीवाड़ा करने के लिए धान खरीदी के पूर्व से ही सुनियोजित तरीके से किसानो के धान का रकबा बढ़ाया गया, फर्जीवाड़ा करने वाले कर्मचारियों को शायद पहले से ही पूर्वाभास हो चूका था कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनेगा और प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीदी होगी और प्रत्येक क्विंटल का समर्थन मूल्य 3100 रुपये होगा इसी लिए छत्तीसगढ़ में सरकार बनने के पूर्व अक्टूबर 2023 में ही समिति के प्रभारी / प्रबंधक और कंप्यूटर ऑपरेटर ने मिलकर फर्जी पंजीयन किया ताकि इन फर्जी रकबा में फर्जी तरीके से धान की खरीदी किया जा सके। जाड़ामुड़ा समिति में उमेश भोई समिति प्रभारी/ प्रबंध है और मनोज कुमार आपरेटर है।
जब किसानो के पास खेती का रकबा कम है जिसे फर्जी तरीके से बढ़ाया गया है उनके पास धान कहा से आ रहा है जिसे बिक्री किया जा रहा है कही धान खरीदी फड़ में बिना धान लाये ही समिति के कर्मचारी धान का आवक और राइस मिल को जावक दिखाकर सरकार और जिला प्रशासन की आँखों में धूल तो नहीं झोक रहे है। ये भी जांच का विषय है।