Thursday, October 9, 2025
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महासमुंद जिले के चौकबेड़ा धान खरीदी केंद्र में चल रहा है, सरना धान को मोटे धान में खरीदकर, मोटे धान के डी. ओ. में मिलर्स को सरना धान देने का खेल। कई हजार क्विंटल सरना धान को, मोटे धान में खरीदकर रखा गया है और मोटे धान के डी. ओ. सरना धान देने का खेल जारी है।

IBN24 Desk : महासमुंद [छत्तीसगढ़] पूरे छतीसगढ़ मे धान खरीदी वर्ष 2024-25 के लिए 14 नवम्बर 2024 से 31 जनवरी 2025 तक समर्थन मूल्य पर किसानो से धान की खरीदी की जा रही है। महासमुंद जिले मे किसानो से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए 182 धान खरीदी केंद्र बनाए गए थे जहां धान की खरीदी की जा रही है।
जिले के कुछ धान खरीदी केंद्रो में सरना धान को मोटे धान में खरीदकर, मोटे धान के  डी. ओ. में राईस मिलरों को सरना धान देने का खेल चल रहा है

ताजा मामला महासमुंद जिले के चौकबेडा धान खरीदी केंद्र का है जहाँ सरना धान को मोटा धान में खरीदा जा रहा है। सरकार ने धान के तीन कैटेगरी निर्धारित किया है जिसमे खरीदी करना है। जिसमे मोटा, पतला और सरना है। इसके लिए अलग अलग कलाम बनाये गए है लेकिन महासमुंद जिले के चौकबेडा धान खरीदी केंद्र में प्रभारी संतराम भाष्कर द्वारा शासन के नियम विरुद्ध सरना धान को मोटे धान में खरीदने और मोटे धान के डी. ओ. में मिलरों को सरना धान देने और उसके एवज में प्रति क्विंटल 10 रुपये लेने और सरकार को क्षति पहुचाने का खेल चल रहा है। अभी भी कई हजार क्विंटक सरना धान को मोठे धान के रूप में खरीदकर धान खरीदी फड़ में रखा गया है।

धान बेचने वाले उस समिति के किसानों ने बताया कि धान खरीदी प्रभारी संतराम भाष्कर, सरना धान को मोटा धान में खरीदता है और पूछने पर सरना और मोटा एक ही धान बताता है।

समझिए आखिर सरना धान को मोटे धान में क्यो खरीदता है धान खरीदी प्रभारी है।

राईस मील से संबंधित लोग बताते है कि 1 कविंटल मोटे धान से लगभग 55 से 60 किलो चावल निकलता है जबकि सरना धान के 1 कविंटल धान से लगभग 60 से 65 से किलो चावल निकलता है। मोटे धान में टूट अधिक होता है इसलिए चावल कम निकलता है जबकि सरना धान में टूट कम होने पर चावल अधिक निकलता है साथ ही सरना धान के कोढहा से तेल, मोटे धान के कोढहे से अधिक निकलता है इसलिए मिलर भी अधिक मात्रा में सरना धान खरीदी केंद्रों से लेना चाहता है लेकिन शासन, मिलर को कितना मोटा धान देना है कितना पतला धान देना है और कितना सरना धान देना इसका निर्धारण तय करती है।

 इसमे धान खरीदी प्रभारी करते है खेल, और शासन के नियम विरुद्ध, सरना धान को मोटे धान में खरीदकर मोटे कर डी. ओ. में सरना धान देकर प्रति कविंटल 10 रुपये राईस मिलर से लेते है। वैसे इसमे ज्यादा फायदा राईस मिलरों को होता है क्योकि 01 कविंटल मोटा धान से लगभग 55 से 60 किलो चावल निकलता है वही 01 कविंटल सरना धान से 60 से 65 किलो चावल निकलता है मतलब 5 किलो अतिरिक्त चावल निकलता है। हर साल राईस मिलर हजारो कविंटल धान कस्टम मिलिंग के लिए धान खरीदी केंद्रों से उठाते है।

शातिर धान खरीदी प्रभारी धान खरीदी शुरू होते ही सरना धान को मोटे धान में खरीदी करके रखते है और शासन प्रशासन की आंखों में धुलझोककर मोटे के डी. ओ. में सरना राइस मिलरो को देते है। धान खरीदी केंद्र चौकबेडा में भी यही खेल चल रहा है।

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