Thursday, October 9, 2025
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“अवसर तलाशने से अच्छा स्वयं को तराशे” सफलता आपके कदमो में समावेशी शिक्षा संभावनाओ से परिपूर्ण।

IBN24 Desk : बलौदाबाजार (छत्तीसगढ़)बलोदाबाज़ार जिला अंतर्गत कसडोल विकास खंड के ग्राम पंचायत रिकोकला के हाई स्कुल में स्वैच्छिक संगठन निदान सेवा परिषद् द्वारा समावेशी शिक्षा व् बाल अधिकार से अवगत कराने हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया I
उपरोक्त कार्यशाला में संस्था के संचालक सुरेश शुक्ला द्वारा शिक्षा के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया की शिक्षा का मूल उद्देश्य नौकरी पाना ही नहीं है, शिक्षा से हमें हमारे मूल अधिकारों का बोध होता है साथ ही एक शिक्षित व्यक्ति अच्छे समाज के निर्माण में भागिदार होता है, शिक्षा में हमें अधिकारों का बोध कराया है और संस्कार हमें कर्त्तव्य बोध कराता है जिस प्रकार कोई वाहन एक चक्के से अधिक दुरी तक सफलता पूर्वक नहीं चल सकता ठीक उसी प्रकार हमारे जीवन में शिक्षा और संस्कार दोनों का समाहित होना अत्यंत जरुरी है I
वर्त्तमान परीवेश में बढती जनसँख्या तथा बदलते वातावरण में जनजीवन काफी प्रभावित हुआ है ऐसी दशा में बेरोजगारी एक बड़ी चुनौती बनकर हम सबके सामने खड़ा है जिसका सम्पूर्ण समाधान समावेशी शिक्षा व्यवस्था में ही संभव है, शिक्षा के क्षेत्र में हमारे देश में विभिन्न व्यापक रूप से प्रयोग हुए है और शिक्षा का प्रसार हुआ है समय की मांग के हिसाब से शिक्षा व्यवस्था में कौशल का समावेश अत्यंत आवश्यक हो गया है, हमारी शिक्षा का मूल उद्देश्य सिर्फ डिग्रिया ही नहीं बल्कि शिक्षा के मूल सिद्धांतो के प्रति समझ विकसित करना है, शिक्षा के लिए सरकार द्वारा विद्यालयों की व्यवस्था किया गया है लेकिन सरकार द्वारा स्थापित व्यवस्था की सुरक्षा को व्यवस्थित रखने का मूल दायित्व हम सबका है, दायित्वों का निर्वहन हमारे समझ से ही विकसित हो सकता है, बीते दो वर्षो में जहाँ पूरा विश्व कोरोना महामारी के आगोश में था उस कठिन घडी में रोजगार की तमाम संभावनाओ पर प्रश्न चिन्ह लग गया उसके बाद से अनेक रोजगार मूलक व्यवसाय उद्योग पर पूर्ण विराम लग गया, कठिन से कठिन समय में भी हमारा कृषि का कार्य निरंतर संचालित रहा अर्थात मूल कठिन घडी में कृषि ही हमारी अर्थव्यवस्था को थामे रहा इससे यह स्पष्ट है की हमारी मूल आजीविका कृषि हमें प्रत्येक रूप में सक्षम रख सकता है, जिसकी सम्भावनाये हमारे आसपास ही है लेकिन हमारी प्रकृति संभावनाओ को अन्यत्र तलाशने की बन गई है सही मायने में देखे तो अब हमें तलाशने की नहीं अपने को तराशने की आवश्यकता है I


प्रकृति हमारी आवश्यकताओ को सदियों से निरंतर पूरा करते आ रहा है अब समय प्रकृति के प्रति हमारी दायित्व को समझ कर पूरा करने का है, हमारे उभरते युवा ही राष्ट्र निर्माता है आने वाले समय में देश का बाघडोर उनके हाथो में ही है, ऐसी स्थिति में हमारे आसपास का वातावरण को शुद्ध स्वच्छ रखने के दिशा में निरंतर प्रयास करना होगा, पर्यावरण के प्रति उदार भाव रखकर सचेतन मन को जगाना होगा, खाद्यान्न आपूर्ति की बात हो या अच्छे स्वास्थ्य की बिना पर्यावरण को संरक्षित किये संभव नहीं है इसलिए हमें कम से कम अपने आसपास पर्यावरण के प्रति जागरूकता का सन्देश देकर अच्छे नागरिक होने का परिचय देना होगा, जिम्मेदारी कभी किसी आदेश की प्रतीक्षा नहीं करता यह तो स्वबोध होता है I
भारतीय संविधान आधारित हमें विभिन्न अधिकार दिए गए है जिनमे शिक्षा और स्वास्थ्य प्रमुखता से है साथ ही कर्त्तव्य भी है जिसको ध्यान में रखकर पालन करना होगा, देश में जनसँख्या अभूतपूर्व तरीके से बढ़ते ही जा रहा है जिसके परिणाम स्वरुप दिन प्रति दिन खाद्यान्न संकट बढ़ते जा रहा है वही कृषि के प्रति रूचि भी कम होते जा रही है जिसके परिणाम स्वरुप स्थानीय उपलब्ध होने वाले खाद्यान्न भी अब बाहर से मंगाना पढ़ रहा है इन सभी चुनौतियों का निराकरण एक मात्र है हमें कृषि को आजीविका का मूल आधार बनाना होगा साथ स्थानीय मांग आधारिक अन्य कार्यो पर संभावनाओ के प्रति रूचि बढ़ाना होगा I
हमारी मूलभुत आवश्यकताओ की पूर्ति सरकार द्वारा पूरी की जा रही है,कभी संसाधनों के रूप में कभी व्यवस्था के रूप में सरकारे संसाधन तो उपलब्ध करा सकती है उन संसाधनों को सहेजने का दायित्व अपने जिम्मे लेना होगा I
उपरोक्त कार्यशाला में ग्राम स्तर पर संचालित संस्था बीइंग नेचर के प्रमुख प्रमोद साहू, पुरुषोत्तम साहू, स्कुल के प्राचार्य श्री सुरेश कुमार बरिहा, व्याख्याता हैलेश कुमार साव, देव कुमारी नायक, छत्रपाल बंधन, स्कूल समिति अध्यक्ष राम चरण डडसेना तथा छात्र छात्राये उपस्थित थी I

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