महासमुन्द। छत्तीसगढ़ के सरगुजा और जशपुर जिले के बाद अब हाथियों का आतंक महासमुंद जिला में देखने को मिल रहा है महासमुंद जिले में पिछले पांच साल से हाथी उत्पात मचा रहे है इन पांच सालो में हाथियों ने 28 लोगो की जान ले लिया है और हजारो एकड़ फसल को बर्बाद कर दिया है। वन विभाग हाथियों को इस जिले से खदेड़ने कई प्रयोग कर करोडो रुपये खर्च कर चुकी है लेकिन वन विभाग को सफलता नहीं मिल सकी है। जिले के स्थानीय लोगो में हाथी को लेकर डर का माहौल है लोगो का मानना है कि हाथी से आमना सामना मतलब मौत निश्चित है।

पहले छतीसगढ़ के सरगुजा और जशपुर जिला हाथी से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला माना जाता था। सरगुजा और जशपुर में आये दिन हाथी के हमले की खबर सुनंने को मिलती थी लेकिन पिछले पांच साल से छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिला में हाथियों की आवाजाही बढ़ी है जिले में कई हाथियों का दल घूमता है। महासमुंद जिले के एक छोर रायगढ़ जिले के गोमर्डा अभ्यारण से जुड़ा हुया हुआ है वही जिले का एक छोर बलौदाबाजार जिले के बार अभ्यारण से जुड़ा हुआ है इस वजह से हाथियों की जिले में आवाजाही आसानी से होती है महासमुंद जिले में हाथियों को घना जंगल मिल रहा है साथ ही जलक्रीड़ा करने महानदी भी मिल रहा है इसलिए यहाँ के वातावरण हाथियों के लिए अनुकूल है माना जा सकता है लेकिन अब हाथी महासमुंद जिले के जंगल से निकलकर रिहायसी इलाके में आ रहे है फसल बर्बाद कर रहे है और लोगो की जान भी ले रहे है 2015 से अब तक हाथियों के हमले से 28 लोगो की जान चली गयी है और हाथियों ने हजारो एकड़ फसल को बर्बाद कर दिया है। जिले में 2015 से लोगो पर हाथियों ने हमला करना शुरू किया।
2015 में हाथियों के हमले से जिले में 2 मौत हुई।
2016 में हाथियों के हमले से जिले में 3 मौत हुई
2017 में हाथियों के हमले से जिले में 3 मौत हुई।
2018 में हाथियों के हमले से जिले में 7 मौत हुई
2019 में हाथियों के हमले से जिले में 4 मौत हुई।
2020 में हाथियों के हमले से जिले में 2 मौत हुई।
2021 में हाथियों के हमले से जिले में 8 मौत हो चुकी है लोगो में डर का माहौल है हाथी कब कही से निकल जाये और जान ले ले इस बात का डर लोगो को सता रहा है। हाथियों को इस जिले से खदेड़ने के लिए वन विभाग करोडो रुपये खर्च करके कई प्रयास कर चूका है लेकिन हाथियों को जिले से पूर्ण रूप से खदेड़ने में सफलता नहीं मिल पायी है। वर्ष 2015 -16 में छत्तीगढ़ के पूरवर्ती बीजेपी सरकार ने भी महासमुंद जिले से हाथियों को खदेड़ने के लिए कर्णाटक सरकार से संपर्क कर, कर्नाटक से 5 प्रशिक्षित कुमकी हाथी मंगाए थे ताकि इस प्रशिक्षित हाथियों की मदद से दतेल जंगली हाथियों को यहाँ से खदेड़ा जा सके इन कुमकी हाथियों के लिए महासमुंद जिले के सिरपुर के पास ग्राम पासिद में एक कम्प बनाया गया था जिसमे करोडो रुपये खर्च हुए पर हाथियों की खदेड़ने में सफलता नहीं मिली अंत में कुछ समय बाद सभी 5 प्रशिक्षित कुमकी हाथियों को सरगुजा भेज दिया गया। इन जंगली हाथियों के जिले से खदेड़ने के लिए पश्चिम बंगाल से हुल्ला पार्टी भी बुलवाया गया था लेकिन उससे भी सफलता नहीं मिली। जिले में हो रहे हाथियों के हमले में लोगो की जान जा रही थी ऐसे में हाथियों के लोकेशन की जानकारी रखकर हाथी विचरण इलाके में लोगो को सूचित करने के लिए 2018 में हाथियों पर रेडिओ कॉलर लगाने की योजना बनायीं गयी और सितम्बर 2018 में झुण्ड के एक हाथी पर रेडियो कॉलर लगाया भी गया लेकिन इससे रेडियो कॉलर वाली हाथी की जानकारी ही मिल पा रही है बाकि झुण्ड से अलग होकर घूमने वाले हाथियों की जानकारी नहीं मिल पाने से जिले में फिर से हाथियों का आतंक बढ़ रहा है और हाथी फसल बर्बाद करने के साथ साथ लोगो की जान भी ले रहे है। इसी सप्ताह एक ही हाथी तीन लोगो की कुचलकर मार डाला। इस प्रकार वन विभाग ने कई प्रयास किये लेकिन महासमुंद वन विभाग को हाथियों को इस जिले से खदेड़ने और न ही फसल नुकसान और जन हानि रोकने में सफल हो पायी । स्थानीय लोगो का कहना है कि हाथी को इस जिले से खदेड़ने के लिए कई प्रयास किया गए जिसमे कुमकी हाथी लाये गए, हुल्ला पार्टी बुलवाया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ हाथी लगातार जंगल से निकल कर रिहायसी इलाके में आ रहे है और फसल बर्बाद करने के साथ साथ लोगो की जान ले रहे है अभी तक कई लोगो की जान हाथी के हमले में चली गयी है ।कई बार हाथी आने की सूचना समय पर लोगो को नही मिल पाती है जिससे लोग अनजान रहते है और घटना हो जाती है। हाथी कही से भी निकलकर लोगो की जान ले रहे है हाथी से सामना मतलब मौत निश्चित है !इस सम्बन्ध में महासमुंद जिले के वन मंडल अधिकारी पंकज राजपूत का कहना है कि जिले में हाथियों की आवाजाही पिछले 5 सालो से है हाथी रेंजिंग एनिमल है आते जाते रहते है पिछले पांच सालो में हाथी के हमले से 28 लोगो की जान गयी है कुमकी हाथी भी यहाँ लाये गए थे और उनके सहयोग से एक हाथी पर रेडियो कलर लगाया भी गया है हाथी से जनहानि को रोकने के लिए एक वन विभाग और प्रभावित क्षेत्र के लोगो में संचार तंत्र को मजबूत करना पड़ेगा जिससे हाथी आने की सूचना तुरंत मिल सके और लोग सुरक्षित जगह पर रहे जंगल और खेत की और न जाए साथ ही कुछ नियम फॉलो करना पड़ेगा की घरो में ऐसी चीजो का संग्रह न करे जिसकी सुगंध से हाथी रिहायसी इलाके में आये, हाथी के किनारे बिलकुल न जाए, उसका फोटो वीडियो लेने की कोशिश न करे उन्हें अनावस्यक परेशान न करे साथ ही हाथी के साथ सामजस्य स्थापित करते हुए काम करे तो शायद जन हानि से बचा जा सकेगा। महासमुन्द जिला में खेती पर निर्भर जिला है लोग हाथी के वजह से खेत न जाये और घर से न निकले ऐसा संभव भी नही है सरकार और वन विभाग को इस ओर गंभीरता से सोचने की जरूरत है कि ऐसा कुछ उपाय किया जाए कि हाथी से जनहानि जिले में रुक जाए।