IBN24 Desk : महासमुन्द (छत्तीसगढ़) धान खरीदी में फर्जीवाड़ा के लिए मशहूर पिरदा ब्रांच के कुछ धान खरीदी केन्द्रो में धान की फर्जी [ बोगस ] खरीदी का खेल चल रहा है। बिना धान लाये ही ऑनलाइन खरीदी दिखाया जा रहा है और राईस मिलरों से सेटिंग कर बिना धान दिए ही राइस मिल को धान जाना दिखाया जा रहा है। धान खरीदी ऑनलाइन है इसलिए धान का आवक और जावक ऑनलाइन किया जा रहा है जबकि मौके पर उतना धान नहीं आ रहा है जितना धान खरीदी में दिखाया जा रहा है।

ताजा मामले में फर्जी धान खरीदी की खबर महासमुंद जिले के पिथौरा ब्लाक के झारमुड़ा खरीदी से मिल रही है जहां लगभग 31 लाख के फर्जी [बोगस ] धान खरीदी की गयी है। मौके पर 1000 क्विंटल धान आज की स्थिति में कम है जिसे बिना धान लाये खरीदी दिखाया गया है जिसे राइस मिलर से सेटिंग कर डी. ओ. एडजस्ट करने के कोशिश की जा रही है।

स्थानीय किसान ये भी जानकारी दे रहे है कि कई सौ क्विंटल धान का फर्जी खरीदी दिखाई गई और डी. ओ. के माध्यम से राइस मिलरों से सेटिंग कर एडजेस्ट भी कर लिया गया लेकिन आज की स्थिति में झारमुड़ा धान खरीदी फड़ में अभी भी ख़रीदे गए कुल धान में लगभग 31 लाख के 1000 क्विंटल धान कम है। साथ ही किसानो ने बताया कि इस तरह से खरीदी केन्द्रो में फर्जीवाड़ा किया जाता है बाद में धान खरीदी के भौतिक सत्यापन में धान कम मिलता है जिससे समिति को नुकसान होता है और समिति किसानो की होती है इस लिए किसानो का ही नुकसान होता है।
इस मामले में झारमुडा के धान खरीदी प्रभारी गड़बड़ी नही होने की बात कह रहा है। उसके बात में कितनी सच्चाई है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगा।
वैसे गहन जांच किया जायेगा तो जिले के कई धान खरीदी केन्द्रो में इस तरह की फर्जी [ बोगस ] खरीदी सामने आएगी अभी तो शुरुआती रुझान आने शुरू हुए है।
धान खरीदी वर्ष 2024 -25 मे जिस तरह से अवैध धान के भण्डारण और परिवहन पर महासमुंद कलेक्टर विनय कुमार लंगेह के कड़क निर्देश के बाद लगातार कार्यवाही की जा रही है वैसे ही धान खरीदी केन्द्रो में कड़ाई से जांच की जाएगी तो कई मामले सामने आएंगे, अगर फर्जीवाड़ा करने वाले पर कड़ाई से कार्यवाही होगी तो आने वाले समय में इस तरह के फर्जीवाड़ा में कुछ तो विराम लगेगा।
जांच के लिए उस ब्लाक के धान खरीदी से सम्बंधित अधिकारी को छोड़, दूसरे ब्लाक के अधिकारियो से जांच कराने पर ही फर्जीवाड़ा का खुलासा होता है क्योकि स्थानीय अधिकारी, कर्मचारी को मामले की जानकारी रहते हुए भी कई बार कार्यवाही नहीं होती है।