IBN24 Desk :
प्रधानमंत्री मोदी ने दुकानदारों से भी अपील की है कि वे अपनी दुकानों के बाहर लिखें “यहां स्वदेशी सामान मिलता है.” यह केवल नारा नहीं, बल्कि आर्थिक स्वतंत्रता की दिशा में बड़ा कदम है.
अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ बढ़ाने और लगातार गैर-टैरिफ बैरियर्स लगाने के बीच स्वदेशी पर एक बार फिर चर्चा की शुरुआत हो गई है. सोमवार को पीएम मोदी ने साफ कहा था कि स्वदेशी को हर भारतीय के जीवन का मंत्र बनाना होगा, क्योंकि यही भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का रास्ता है. यह बयान ऐसे समय आया है जब वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद (Protectionism) बढ़ रहा है, अमेरिका और यूरोप अपने उद्योगों को बचाने के लिए नए-नए अवरोध खड़े कर रहे हैं, और डॉलर से लेकर पेमेंट सिस्टम व ग्लोबल सप्लाई चेन तक का हथियार की तरह इस्तेमाल हो रहा है.
गांधी जी के स्वदेशी मंत्र से लेकर कोरोना महामारी और अब ट्रंप के टैरिफ कदमों तक हर घटना ने भारत को यह सिखाया है कि आत्मनिर्भर बने बिना आर्थिक और तकनीकी आज़ादी असंभव है. आज भारत में बनी कारें और इलेक्ट्रॉनिक सामान दुनिया भर में छा रहे हैं. रक्षा से लेकर डिजिटल तकनीक तक, आत्मनिर्भरता का यह अभियान अब केवल नारा नहीं, बल्कि भारत के भविष्य की सबसे बड़ी आर्थिक रणनीति बन चुका है.
दुनिया की बदलती राजनीति और व्यापारिक नीतियां यह साबित कर रही हैं कि स्वदेशी और आत्मनिर्भरता भविष्य की राह बना सकती है.
गांधी जी का स्वदेशी मंत्र एक बार फिर हो सकता है कारगर
महात्मा गांधी ने आज़ादी की लड़ाई के दौरान स्वदेशी को केवल आर्थिक आंदोलन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक माना था. उन्होंने विदेशी वस्त्रों की होली जलाकर भारतीयों से अपने ही देश में बने उत्पादों के इस्तेमाल का आह्वान किया था. गांधी जी का मानना था कि स्वदेशी न केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता लाता है बल्कि यह देश के हर नागरिक को राष्ट्र निर्माण में भागीदार बनाता है.