IBN24 Desk :बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल से भी वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के रुझान आने लगे हैं. मालदा और मुर्शिदाबाद जैसे सीमावर्ती जिलों में लोग अभी से कागजात दुरुस्त करा रहे हैं. बड़ा सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी को ममता बनर्जी भी तेजस्वी यादव जैसी छूट देंगी? पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव भी बिहार के बाद ही होने वाले हैं. बिहार चुनाव के करीब छह महीने बाद. वक्त अब साल भर से भी कम ही बचा है. SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण के मामले में भी बिहार के बाद बंगाल की ही बारी है. चुनाव आयोग की तरफ से SIR की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. और, तैयारियों का असर भी नजर आने लगा है.मालदा और मुर्शिदाबाद जैसे सीमावर्ती राज्यों में लोग अपने कागजात दुरुस्त कराने के लिए अभी से एक्टिव हो गए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, जन्मस्थान और जन्मतिथि से जुड़े दस्तावेज जुटाने के लिए लोग ग्राम पंचायतों, नगर पालिकाओं और स्थानीय अदालतों का रुख करने लगे हैं. ये इलाके बांग्लादेश की सीमा से सटे हैं, और यहां अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की आबादी है.बिहार और बंगाल के SIR मामले में थोड़ा फर्क है. बिहार के मुकाबले बंगाल के लोगों को ज्यादा वक्त मिलने वाला है. और, जिस तरह से लोग अभी से सक्रिय हो गये हैं, लगता है बिहार जैसी अफरातफरी बंगाल में नहीं मचने वाली है – लेकिन राजनीति तो वैसी ही होगी, तय है. हो सकता है, बिहार के मुकहो सकता है, बिहार के मुकाबले ज्यादा ही बवाल हो. सुना है राहुल गांधी और उनकी टीम वोटर अधिकार यात्रा को बिहार से बाहर बड़ा कैनवास देना चाहते हैं. ये बात तभी सामने आई थी, जब बिहार में वोटर अधिकार यात्रा शुरुआती दौर में थी. वोटर अधिकार यात्रा की नींव तो दिल्ली में ही पड़ी थी. पहले सड़क पर माहौल बनाया गया था, और बाद में इंडिया ब्लॉक की बैठक में. तब तो लगा था सब कुछ तेजस्वी यादव करने वाले हैं, लेकिन बाद में तो सब कुछ बदल गया. राहुल गांधी ने पूरी कमान ही अपने हाथ में ले ली थी, ऐसा लगने लगा. अब तो राहुल गांधी ने एटम बम के बाद हाइड्रोजन बम फोड़ने का भी ऐलान कर दिया है.